हेलो दोस्तों आपका वेब रफ्तार पर स्वागत है। आज हम आपको एक महत्वपूर्ण योजना प्रजनन और बाल आरोग्य कार्यक्रम के बारे में बताने वाले हैं। यह योजना माताओं के लिए और छोटे बच्चों के लिए बहुत ही उपायुक्त है।
प्रजनन और बाल आरोग्य योजना जो माता अभी गर्भवती है और जो बच्चे अभी उम्र के नीचे हैं उनके लिए है। इस योजना के चलते भारत में माता और और बालकों के लिए आरोग्य की विशेष सुविधाएं दी जा रही है। इसमें पूरा ख्याल रखा जाता है कि माता और बालको का स्वास्थ्य अच्छा रहे।

यह योजना माता और छोटे बच्चों के आरोग्य में सुधार लाने के लिए देश में विवेक पर इतना शुरू है। माताओं के लिए और बालकों के लिए अलग-अलग योजना शुरू करने के अलावा इन दोनों विषयों को एकत्रित करके एक संयुक्त योजना बनाई गई है। सातवें पंचवार्षिक योजना में माता और छोटे बच्चों के आरोग्य विषयक सुविधा प्राप्त करने के लिए एक योजना बनाने की सोच आगे रखी गई थी।
परंतु इसमें विविध कार्यक्रम स्वतंत्र स्वरूप से अमल करते वक्त बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था इसीलिए बाद में इन दोनों विषयों को एकत्र करके एक संयुक्त योजना बनाई गई थी। दोनों विषय अलग होने के कारण उस समय जो लक्ष्य योजना बनाते समय रखा गया था वह पूरा नहीं हो सका इसीलिए उस उन दोनों विषयों को एकत्र किया गया था।
प्रजनन और बाल आरोग्य कार्यक्रम की शुरुआत कब और कैसे हुई ?
1992 में माता और बाल इन दोनों से को एकत्रीकरण करके बाल सुरक्षा वह बाल सुरक्षित मातृत्व यानी कि चाइल्ड सर्व अराइवल एंड सेफ मदरहुड यह योजना की निर्मिति की गई थी।

आगे 1994 में कैरो इजिप्ट के शहर में लोकसंख्या व विकास परिषद की घोषणा के बाद उसमें दी गई सलाह के बाद इस कार्यक्रम का एकत्रीकरण सृजनात्मक और बाल कार्यक्रम यानी रीप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम से संबोधित किया गया।
15 अक्टूबर 1997 में नौवें पंचवार्षिक योजना के अंतर्गत इस कार्यक्रम का पहला भाग शुरू किया गया था प्रजनन और बाल आरोग्य कार्यक्रम का पहला भाग 1 अप्रैल 2005 में 5 सालों के लिए लागू किया गया था। यह कार्यक्रम एन आर एच एम का प्रमुख घटक है।
उद्देश्य क्या है प्रजनन और बाल आरोग्य कार्यक्रम के ?
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- माता मृत्यु का प्रमाण कम करना
- अर्भक मृत्यू दर कम करना
- एकण जननदर कम करना
- बाल आरोग्य का ध्यान रखना
माता मृत्यु का प्रमाण कम करना
जैसा कि हम सब जानते हैं भारत में माताओं की मृत्यु यह कोई आम बात नहीं रह गई है। इसके कई कारण हैं। जैसे कि कम उम्र में शादी होना योग्य उम्र ना होने के कारण कम और कम उम्र में माता बन्ना अनचाहे संभोग अनचाही संतान और लड़के के जन्म के कारण किए गए या अत्याचार के कारण माताओं की मृत्यु का दर भारत में बहुत बढ़ गया है और इसे नियंत्रण में लाने के लिए या इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए यह योजना एक उपयुक्त योजना साबित हुई है। भारत में शादी करने की लड़कियों की उम्र 18 साल निश्चित की गई है।

लेकिन कई भागों में यह कायदा माना नहीं जाता इसीलिए लड़कियों की शादी बहुत ही कम उम्र में हो जाती है। और वह ना चाहते हुए भी अगर माता बन गई तो उनका शरीफ उतना तंदुरुस्त नहीं रहता और इसी वजह से कभी-कभी उनकी मृत्यु हो जाती है क्योंकि उनका शरीर अभी माता बनने के लिए योग्य नहीं था माता बनने के लिए जो शरीर में आवश्यकता होती है।
वह और जो शक्ति आवश्यक होती है वह अभी उनके शरीर में नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु जल्दी हो जाती है अगर मूर्ति ना भी हुए तो आने वाली संतान तंदुरुस्त नहीं रहती। इस बात की जागरूकता लाने के लिए यह विषय इस योजना के अंतर्गत लिया गया है।
इस योजना के अंतर्गत गांव में लोगों लोगों के मन में माताओं और शादी की उम्र और प्रजनन काल के बारे में जागरूकता लाकर माता मृत्यु दर कम किया जाता है और इस तरह की माताओं का खास ध्यान रखा जाता है।
अभ्रक मृत्यु दर कम करना
अदरक मृत्यु दर कम करना यह भी इस योजना का एक महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि इंडिया में अभ्रक मृत्यु दर बहुत ज्यादा है इंडिया में पुरुष प्रधान संस्कृति होने के कारण लड़कियों के जन्म समय माता-पिता या उनके संबंधी खुश नहीं रहते इसे कारण लड़कियों के जन्म के समय माता पिता और लोग बहुत ही नाराजी व्यक्त करते हैं इसी वजह के कारण अभ्रक मतदान और ज्यादा बढ़ गया है।

क्योंकि भारत में पुरुष प्रधान संस्कृति होने के कारण अपना वह सिर्फ लड़का आगे जा ले जा सकता है यह धारणा लोगों के मन में बस गई है और इसी कारण लड़कियों के जन्म के समय उन्हें जन्म होते ही मार दिया जाता है इसका प्रमाण भारत में बहुत अधिक है इसके प्रति जागरूकता लाने के का काम यह योजना करते हैं।
लड़कियों के और कई बार लड़कों का जन्म होते ही उन्हें मार दिया जाता है इसका दर बहुत अधिक ज्यादा है लड़कियों की मृत्यु का कारण भारत की पुरुष प्रधान संस्कृति की सोच है और कई बार नाजायज संबंधों के कारण होने वाले संतानों का मृत्यु किया जाए जाता है। ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए और जागरूकता लाने के लिए यह योजना काम करती है।
एकुण जननदर कम करना
जैसे कि हम सब जानते हैं, इंडिया में लोकसंख्या एक बहुत बड़ा विषय है इंडिया की लोकसंख्या पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है और यह तेजी से बढ़ रही है और इसका कारण भारत में जनन दर अधिक होने के कारण है इसीलिए एक योजना और बनाई गई थी हम दो हमारे दो भारत में स्थित जनन का प्रमाण कम करने का उद्देश्य भी इस योजना में रखा गया है।

लोकसंख्या भारत के लिए एक चुनौती भरी समस्या हमेशा ही रही है और इसका कारण इंडिया में जनन ज्यादा होने के कारण रही है। नियंत्रित लाना बहुत जरूरी है इसीलिए हमें और हमारे आसपास में रहने वाले या भारत में स्थित हर एक नागरिक का कर्तव्य है कि हमें इसके प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है।
इस योजना के अंतर्गत बाल आरोग्य में सुधार लाकर लोकसंख्या मुख्य उद्देश्य है। राष्ट्र में इस योजना का दूसरा भाग 2005 में शुरू किया गया है और दूसरा 2005 / 2006 से 2009 /10 ऐसा था। इस कार्यक्रम में सुरक्षित मातृत्व सेवा बालकों के लिए आरोग्य सेवा उपलब्ध करने के लिए कुटुंबकम और किशोर वहीं बच्चों के लिए आरोग्य सेवा उपलब्ध करने के लिए और गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तंत्र लागू करने के लिए और आदिवासी आरोग्य सुधारने के लिए और उनकी देखभाल करने के लिए वैद्यकीय उपलब्ध कराने के जिम्मेदारी इस योजना के अंतर्गत आती है।
के प्रति हमें जागरूकता लाने के लिए और इसका प्रचार करने की जरूरत है इसलिए हम सभी का यह कर्तव्य है कि हमारे आसपास रहने वाले लोगों को इस योजना के बारे में हम बता कर भारत के माता और बालकों के आरोग्य प्रती उठाए गए इस कदम को हम आम जनता तक पहुंचा कर उनमें जागरूकता लाने का प्रयत्न करें और भारत का नागरिक होने का कर्तव्य निभाएं।