एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान
एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान योजना खासकर के फलों के उत्पादन में सुधार लाने के लिए और उसका उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाई गई है इसका विशेष उद्देश्य फलों के उत्पादन में विकास और बहुत मात्रा में उत्पादन क्षमता बढ़ाना है ।
जैसा कि हम सब जानते हैं फलों की आवश्यकता सबको होती है फलों में जो मिलने वाले प्रोटींस विटामिंस एंड अन्य कई गुण सत्व होते हैं। वह हमारे भारत में बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार की होती है और उन का उत्पादन बढ़ाना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि कम बारिश वातावरण में बदलाव इसके कारण फलों के उत्पादन में बहुत बड़ी घट हो जाती है इसी दौरान इस योजना का निर्माण किया गया था। मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर इस योजना का इंग्लिश में नाम है।

एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान फलों के उत्पादन में जागृति प्रोत्साहन लाने के लिए बनाई गई है लोगों को इस योजना के बारे में जानकारी नहीं होती इसीलिए वह अपने पारंपारिक फसल लेते हैं कोई फल उत्पादन पर ज्यादा ध्यान नहीं देता हालांकि फल उत्पादन में ज्यादा मुनाफा होता है लेकिन उसके लिए एक 2 साल रुकना पड़ता है क्योंकि रोक सको फल एक-दो साल बाद आते हैं तब तक किसान अपना घर कैसे चलाएं इसकी भी चिंता किसान को होती है इसलिए फल उत्पादन का ज्यादा विकास नहीं हो पाता लेकिन इसके लिए जागृति और विकास करना आवश्यक है।
कैसे हुई शुरुआत एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान की ?
एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान 12वीं पंचवर्षीय योजना का एक भाग है 12वीं पंचवार्षिक योजना 2014 से 2015 में शुरू हुई थी या योजना में बहुत अधिक प्रकार की योजनाओं का भाग है मुख्य योजना के रूप में एकात्मिक फलोत्पादन विकास योजना आती है।
अन्य कई योजनाओं को मिलाकर यह योजना तैयार की गई थी एम आई डी एच योजना यह इसका एक छोटा नाम भी है। योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय फलोत्पादन अभियान राष्ट्रीय बांबू अभियान पूर्वोत्तर राज्यों और हिमाचल के आसपास के राज्यों में राष्ट्रीय फलोत्पादन अभियान राष्ट्रीय फलोत्पादन मंडल नारायण विकास और नागालैंड केंद्रीय फलोत्पादन संस्था यह आते हैं। यानी कि पूर्वोत्तर देशों में भी फलोत्पादन का विकास कैसे बढ़ाया जाए इसके बारे में भी यह योजना विशेष रुप से ध्यान भी हैं और हमारा देश का एक महत्वपूर्ण भाग नागालैंड में भी फलोत्पादन कैसे बढ़ाया जाए इसका केंद्रीय स्तर पर देखभाल के स्वरूप में फलोत्पादन का विकास किया जाता है।

हमारे देश में फलों के उत्पादन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता क्योंकि उसके बारे में अधिक जागृति नहीं हुई है हालांकि फल उत्पादन एक बहुत ही अच्छा हितिका प्रकार माना जाता है उस में मिलने वाले मुनाफे और श्रम के बदले मिलने वाले रोजगार बहुत अधिक होते हैं।
एकात्मिक फलोत्पादन विकास अभियान के अंतर्गत आने वाले अन्य कई योजनाएं
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- राष्ट्रीय फलोत्पादन अभियान
- राष्ट्रीय बंबू अभियान
- पूर्वोत्तर और हिमाचल राज्य में फलोत्पादन अभियान

राष्ट्रीय फलोत्पादन अभियान
भारत में फलोत्पादन का उत्पादन बढ़ाना और उस क्षेत्र में तरक्की करना यह इस योजना का मुख्य उद्देश्य था फल सब्जी सुगंधी और औषधि वनस्पति और मसाले के पदार्थ इसमें आते हैं। मूल स्वरूप में योजना केंद्र सरकार ने दसवीं पंचवर्षीय योजना में यानी कि 2006 में शुरू की थी इस योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य का खर्चा इस प्रमाण में चलता था।
इस योजना में 18 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश है। इस योजना के अंतर्गत घटकों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जैसे कि वनस्पति वाटिका स्थापना टिश्यू कल्चर केंद्र की स्थापना धन का उपयोग मानव संसाधन विकास सेंद्रिय शेती पायाभूत सुविधा और पत्र सुविधा बाजार और विपणन सेवा इस योजना का एक लक्ष्य और दृष्टिकोण की जगह है।
महाराष्ट्र में फलोत्पादन अभियान और राष्ट्रीय औषधि वनस्पति मंडल में यह योजना शुरू की गई थी और योजना 2005 में महाराष्ट्र राज्य फलोत्पादन और औषधि वनस्पति स्थापना इस नाम से शुरू की गई थी।
राष्ट्रीय बंबू अभियान
बंबू छेत्र में विकास का उद्देश्य इस योजना का एक मुख्य लक्ष्य है यह योजना 2006 से शुरू है और यह योजना पूरी तरह से केंद्रशासित नियंत्रण में है यानी कि इस योजना का पूरा खर्चा केंद्र शासन करता है। योजना में अन्य विभागों का एकत्रीकरण किया गया है जैसे कि संशोधन और विकास लागवड विकास वस्त्र उद्योग विकास जैसे उद्योगों का इसमें शामिल किया गया है।
हम सब जानते हैं बंबू हमारे जीवन में बहुत जगह उपयोगी आता है इसलिए इसका विकास करना जरूरी है और महत्वपूर्ण भी होता है। इस योजना में नवीन रोप लागवड वन और वनों के अलावा बाकी क्षेत्रों में इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाना कीट और रोग नियंत्रण हंसता उद्योग विपणन सेवा यानी कि बांबू बाजार और इसका दूसरे देशों में व्यापार करना इस योजना में आता है इस योजना का मुख्य लक्ष्य भी यही है।
अरब देशों में बंबू की बहुत बड़ी आवश्यकता होती है इसीलिए बंबू का व्यापार एक फायदे मन व्यवसाय साबित हो सकता है इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार आ सकता है इसलिए बंबू के खेती में विकास करना आवश्यक होता है इसी वजह से भारत सरकार ने योजना पूरी तरह से नियंत्रण में रखी गई है पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाता है।
पूर्वोत्तर और हिमाचल राज्य में फलोत्पादन अभियान
जैसा कि हम सब जानते हैं पूर्वोत्तर विभाग और हिमाचल विभाग में ज्यादातर बर्फ होता है कौन से फल उत्पादन किए जा सकते हैं इसके बारे में वहां के लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती उनके प्रति जागृति लाना और उन्हें उनके बारे में शिक्षण देना प्रशिक्षण देना यह सरकार की जिम्मेदारी होती है।
उत्पादन को चलना देना जरूरी होता है। नई संधि शुरू करना निर्माण करना और वहां के लोगों का जीवन एक जगह निर्धारित करना यह इस योजना का उद्देश्य है यह योजना मूल रूप से 2001 में शुरू की गई थी टेक्नोलॉजी मिशन फॉर नॉर्थ ईस्ट फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर अंग्रेजी में नाम है।
2003 में जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड यह इस योजना का भाग बने थे और इस योजना को एच एम एन एच अभियान नया नाम दिया गया था। ना का मुख्य लक्ष्य उत्पादन और उत्पादन क्षमता बढ़ाना दिखने में लहान और बड़ी कीमत कम नाशिवंत होने वाले फलों का चयन करना और उनकी देखभाल करना और उसके उत्पादन को चल ना देना यह इस योजना का एक लक्ष्य था।
फलोत्पादन पर आधारित खेती का विकास करना और रोजगार उपलब्ध करा देना विशेष करके महिलाओं को महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करना इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।